लखनऊ। चुनाव करीब हों और चुनावी टोटके की बात न हो, यह बात जरा मुश्किल है। चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी किसी तरह की कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। इस बार चुनाव में भी प्रत्याशी चुनावी टोटके का भी खूब सहारा ले रहे हैं। कोई हरे रंग का कुर्ता पहन कर घूम रहा है तो कोई गुरुजी की मार खाने उनके घर तक जा रहा है। कोई प्रसाद बांट रहा है तो कोई बिना घर के नाम से पुकारे बिस्तर ही नहीं छोड़ रहा है। कुल मिलाकर इस बार भी चुनावी टोटके और अंधविश्वास ने प्रत्याशियों का पीछा नहीं छोड़ा है।
चुनावी टोटके की बात करें तो बक्शी का तालाब से निर्दलीय प्रत्याशी अजीत कुमार अपने गुरु के घर जाते हैं और उनसे पिटाई करने के लिए उनके हाथ-पैर जोड़ते हैं। उनका कहना है कि पांच साल की उम्र में जब उन्होंने एकबार स्कूल जाने से इनकार कर दिया था। तब उनकी मां के कहने पर टीचर घर आए और उनकी जमकर पिटाई की। अजीत बताते हैं कि इसके बाद वह सभी विषय में पास हो गए। उन्होंने बताया कि 9वीं क्लास में उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। इसके बाद फिर गुरुजी ने मेरी पिटाई की और मैंने हाई स्कूल परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली। इसी पिटाई को संजीवनी बनाकर वह अपनी चुनावी नैया भी पार करना चाहते हैं। लखनऊ पूर्व से कांग्रेस उम्मीदवार अनुराग भदौरिया तो पिछले कई वर्षों से सिर्फ हरा कुर्ता और नीली जींस ही पहनते हैं। अनुराग बताते हैं कि यह मेरा लकी कलर है। वह कहते हैं कि आठ साल पहले उन्होंने हरे रंग का कुर्ता लिया था, वह उनके लिए लकी साबित हुआ। इसके बाद यह मेरा विश्वास बन गया। बीकेटी से भाजपा प्रत्याशी अविनाश द्विवेदी भी कम नहीं हैं। वह तब तक अपना बिस्तर नहीं छोड़ते, जब तक उन्हें कोई उनके घर के नाम बबलू से नहीं बुलाता है। वहीं बक्शी का तालाब सीट से ही सपा उम्मीदवार भी चुनावी टोटके में यकीन करते हैंं। वह घर में जबतक सबको प्रसाद न बांट दें, घर से बाहर प्रचार के लिए नहीं निकलते हैं।
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