इलाहाबाद। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से आयोजित टीजीटी कला के 11 फरवरी 2017 को घोषित परिणाम को हाईकोर्ट मे चुनौती दी गई है। परीक्षा में शामिल अभ्यर्थीयों ने चयन में अनियमितता बरतने का आरोप लगाते हुए चयन परिणाम रद्द कर संशोधित परिणाम जारी करने तथा रिक्त हुए पदों पर याचीगण को नियुक्ति देने की मांग की है। रवींद्र प्रताप और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग से इस मामले में जवाब मांगते हुए गलत तरीके से चयन पाने के आरोपी छात्रों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह ने बताया कि 27 दिसम्बर 2013 को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के 231 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया। विज्ञापन में पद के लिए दी गई अनिवार्य अर्हताओं में प्रविधिक कला से इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया था। यह भी शर्त थी कि अभ्यर्थी आवेदन के समय ही अपनी सभी शैक्षिक अर्हताओं के प्रमाण पत्र संलग्न करेंगे। शर्त थी कि आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 जनवरी 2014 पर अभ्यर्थी के पास सभी आवश्यक शैक्षणिक अर्हता होनी चाहिए। याचीगण के पास प्रविधिक कला में इंटर मीडिएट की योग्यता थी। आठ फरवरी 2015 को लिखिल परीक्षा आयोजित की गई जिसमे याचीगण का चयन हो गया। 11 फरवरी 2017 को साक्षात्कार के बाद अंतिम परिणाम घोषित हुआ तो याचीगण चयनित नहीं हो सका। मगर चयन परिणाम में कई ऐसे अभ्यर्थी चयनित हुए जिनके पास आवेदन के समय प्राविधिक कला में योग्यता नहीं थी। उनके परिणाम के सामने योग्यता वांछित लिखा गया है। याचीगण का कहना था कि ऐसे अभ्यर्थीयों का आवेदन ही स्वीकार नहीं होना चाहिए क्योंकि यह विज्ञापन की शर्तों के विपरीत है। हाईकोर्ट ने 13 चयनित अभ्यर्थीयों को भी नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। याचिका पर 17 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में टीजीटी कला के परिणाम को चुनौती

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