लखनऊ: गायत्री प्रजापति के रेप केस के सिलसिले में पुलिस की कार्यवाई तेज़ हो चुकी है. पुलिस के अलावा कुछ तेज़ हुआ है तो वो है इसका सियासी पारा.
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गायत्री प्रजापति पुराण
आपको बता दें की गायत्री प्रजापति एक रेप केस में मुख्य आरोपी हैं. हाल ही में कार्यवाई के तहत भारी मात्र में पुलिस उन्हें अरेस्ट करने उनके लखनऊ स्तिथ आवास पहुंची थी लेकिन वहां पुलिस को कुछ हासिल नहीं हुआ.
इसके उपरांत पुलिस की दो टीमें अमेठी प्रजापति के निवास के लिए रवाना हो गयीं. अमेठी पहुँचने पर प्रजापति की गिरफ़्तारी की ख़बरों ने सुर्खियाँ बटोरनी शुरू करीं लेकिन कोई भी औपचारिक रूप से सांस-ढकार लेने को तैयार नहीं था.
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अंत में पाया ये गया कि अमेठी में गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी नहीं हुयी है और पुलिस को मायूस खाली हाथ लौटना पड़ा.
पुलिस का एंगल
पुलिस ने अपना एंगल इस पर साफ़ रखा है. अपनी कार्यवाई को साफ़ और पारदर्शी दिखाते हुए लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी ने मीडिया के सवालों का सामना करते हुए साफ़ कह दिया कि अगर पीड़ित महिला जांच अधिकारी के काम से खुश नहीं हैं तो जांच अधिकारी को बदल दिया जाएगा.
हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचाना चाहते लेकिन बदलते जांच अधिकारी और खिंचती जांच कभी भी पीड़ित के लिए न्याय का रास्ता आसान नहीं करता है.
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विपक्ष का वार
आज 3 मार्च को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बनारस में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सरकार को निशाना बनाया. उन्होंने गायत्री प्रजापति के मुद्दे पर भी बोलने में झिझक नहीं दिखाई और कहा कि,
‘शासन में रहने वालों की ज़िम्मेदारी है गुनाहगारों को पकड़ना, उसकी जगह लाचारी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं की गायत्री प्रजापति सरेंडर करें.’
सरकार की सफाई
एक बात तो तय है की अगर गायत्री प्रजापति अभी तक पकड़ में नहीं आए हैं तो इसमें कहीं न कहीं फेलियर राज्य सरकार का है. ऐसे में राज्य सरकार के हेड और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जब गायत्री प्रजापति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सपाट शब्दों में कहा की सरकार हर तरह का मुमकिन सहयोग देगी और पीड़ित को न्याय मिलेगा.
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विपक्ष की चेतावनी
अमित शाह ने अपनी बात को विपक्ष पर वार कर ठंडा नहीं होने दिया, उन्होंने आगे कहा कि,
‘अखिलेश सरकार को 11 मार्च से पहले गायत्री प्रजापति को अरेस्ट करना चाहिए. नहीं करते तो भाजपा सरकार बनते ही उनको पाताल से भी ढूंढ लायेंगे.’
जहाँ विपक्ष के बोल सुरीले हैं वहां विपक्ष विपक्ष है और वो सत्ता में नहीं, ऐसे में देखना रोचक होगा की सरकार अपनी सरकार बचा पाती है या विपक्ष विपक्ष की कुर्सी गंवा सरकार में आती है.
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