लखनऊ। केजीएमयू में सेक्स क्लीनिक में ३० फीसदी ऐसे यौन मरीज आते हैं, जिनको वास्तव में कोई बीमारी होती ही नहीं है। यह जानकारी मानसिक रोग विभाग के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में एक चर्चा में बताई गई।
मानसिक रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि केजीएमयू में हर सोमवार को यौन रोग क्लीनिक चलती है। यहां आने वाले मरीजों में 25 से 30 प्रतिशत केस ऐसे होते हैं जो बीमार नहीं होते हैं लेकिन अज्ञानता के कारण अपने को बीमार समझते और तनाव में रहते हैं। बहुत से लोग सेक्स में सफलता मिलने को लेकर मन ही मन बहुत आशंकित रहते हैं कि शायद उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा चूंकि सेक्स का संबंध सीधा मस्तिष्क से होता है, ऐसे में उनकी शंका इतनी हावी हो जाती है कि वह वाकई सेक्स में अपेक्षित सफलता नहीं ले पाते हैं। ऐसे लोगों को सिर्फ काउंसलिंग करके ही ठीक किया जा सकता है।
केजीएमयू में बताई गईं आम भ्रांतियां
- डॉ आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि शर्म और झिझक की वजह से सेक्स शिक्षा लोग प्रॉपर तरीके से नहीं लेते हैं, उन्हें यह शिक्षा मित्रों से, सस्ती किताबों से, पॉर्न फिल्मों से ही मिलती है जो कि उनके अंदर अनेक प्रकार के भ्रम पैदा करती है। नतीजतन वह समस्याओं से ग्रस्त होकर कुंठा में जीते रहते हैं।
- उन्होंने बताया कि बहुत बार ऐसा भी होता है कि लोग सिर्फ भ्रम और अशिक्षा के शिकार होते हैं, उन्होंने बताया कि ज्यादातर ऐसा होता है कि जिन परेशानियों को लोग बीमारी मानते हैं वे दरअसल बीमारियां नहीं हैं, जैसे कि हस्त मैथुन, स्वप्नदोष जैसी स्थिति को युवक बीमारी मानकर अपने आप में परेशान होतेे रहते हैं, जबकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है।
- उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि अनेक समस्याओं से ग्रस्त लोग नीम-हकीम या कथित चिकित्सकों के चक्कर में पड़कर काफी पैसा खर्च देते हैं जबकि उनके हाथ कुछ नहीं आता है।
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