अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रवैये से भारत की IT कंपनियां ही परेशान नहीं हैं, अब बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियों को भी ट्रंप के फैसलों से अपने अमेरिकी बिजनेस के घटने की आशंका सता रही है और इन कंपनियों ने इसे लेकर सरकार से मदद के लिए गुहार लगाई है. नीति आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया को लिखे पत्र में फार्मा इंडस्ट्री के संगठन इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन (IPA) ने मांग की है कि कॉमर्स मिनिस्ट्री के अलावा वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में भारतीय मिशन ट्रंप सरकार के साथ बात कर भारतीय फार्मा कंपनियों के पक्ष में पॉलिसी से जुड़े बदलाव करने के लिए दबाव डालें.
IPA के सदस्यों में सन फार्मा, डॉ रेड्डीज लैबरेटरीज, ल्यूपिन, कैडिला हेल्थकेयर, टॉरेंट फार्मा जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों को डर है कि ट्रंप प्रशासन इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) जैसे मुद्दों पर सख्त हो सकता है या भारत से इम्पोर्ट को कम करने के लिए ट्रेड फैसिलिटेशन ऐंड ट्रेड एन्फोर्समेंट ऐक्ट, 2015 को लागू कर सकता है. IPA के सेक्रेटरी जनरल डी. जी. शाह ने 28 फरवरी को पनगढ़िया को लिखे इस पत्र में कहा है, ‘ट्रंप प्रशासन की ओर से मिले शुरुआती संकेत फार्मा सेक्टर के लिए अच्छे नहीं हैं.
ओबामा केयर को समाप्त करने से खाली हुई जगह को भरने का एक मौका भारत को मिल सकता है लेकिन यह आसानी से नहीं होगा. शाह ने कहा कि ट्रंप प्रशासन चाहे किसी भी दिशा में जाए लेकिन यह निश्चित है कि भारत से जेनेरिक्सदवाओं के एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा. IPA ने सरकार से फार्मा कंपनियों की दवाओं से जुड़ी ऐप्लिकेशंस को जल्द क्लियर करने की मांग की है. साथ ही यूएस फूड ऐंड ड्रग्स ऐडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) के चेतावनी पत्रों पर कदम उठाने को लेकर जल्द जवाब देने और दवाओं की सप्लाई तेज करने के लिए भी कहा गया है.
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देश की फार्मा कंपनियों ने अमेरिका को अपना एक महत्वपूर्ण एक्सपोर्ट मार्केट बनाकर अपने बिजनेस में काफी वृद्धि की है.अभी देश की चार टॉप फार्मा कंपनियों को अपने रेवेन्यू का 40 फीसदी से अधिक अमेरिका से मिलता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में USFDA की ओर से देश की कुछ बड़ी फार्मा कंपनियों के प्लांट्स पर पर प्रतिबंध लगाने से इन कंपनियों के बिजनस पर असर पड़ा है.
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