हमारी चचेरी बुआ जी के बेटे की शादी थी. गाड़ी बुक करने का काम मुझे मिला. गाड़ी मैंने अच्छी बुक की थी – इंडिगो. बारात एक गाँव में जानी थी. जब जा रहे थे तो पता नहीं क्या हुआ ड्राइवर ने गाड़ी एक खेत में घुसा दी. खेत में भरा था पानी, हो गया सत्यानाश. दूल्हे समेत सभी के कपड़े और हालत खराब हो गयी. सारा दोष उस ड्राइवर को दिया गया और ड्राइवर गाड़ी को दोष दे रहा था कि कुछ गाड़ी में ही खराबी थी. उस दिन एक बात तो समझ में आई कि भई ड्राइवर की भूमिका अहम होती है और यही ड्राइवर ऑस्कर में शर्मिंदगी का कारण बना.
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ऑस्कर में शर्मिंदगी का कारण
ऑस्कर वालों को ड्राइवर की अहमियत समझ में नही आई, इसी कारण 89वें ऑस्कर अवार्ड समारोह में ड्राइवर की गलती से शर्मिंदगी उठानी पड़ी. भई बात ये हुयी कि डॉल्बी थिएटर में आयोजित अवार्ड सेरेमनी में प्रोग्राम प्रेजेंटर की गलती से ये घटना हुयी. अवार्ड किसी और फिल्म को दिया जाना था और अनाउंस कोई दूसरी फिल्म कर दी.
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इस अवार्ड फंक्शन के प्रोग्राम प्रेजेंटर वेटरन अभिनेता वारेन बेट्टी थे. उन्होंने बेस्ट फिल्म के अवार्ड के लिए ला ला लैंड का नाम लिया. ला ला लैंड की पूरी टीम भी स्टेज पर आ गयी. तब तक किसी ने बता दिया कि भाई तेरे से चूक हो गयी. तन्ने बोलना था मूनलाइट, लेकिन नाम ला ला लैंड ले लिया. हालांकि जल्द ही गलती तो सुधार ली गयी, लेकिन भाई ने तब तक प्रोग्राम की किरकिरी करवा दी थी.
सफाई में वारेन ने बताया कि मुझे दिए गये लिफ़ाफ़े में एमा स्टोन का नाम ला ला लैंड के लिए लिखा था, इसीलिए कंफ्यूज हो गया.
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भाई इधर कान लाओ, एक बात सच्ची कहूँ,अच्छा हुआ जो म्हारे फूफा जी यहाँ ना हैं. वरना जैसे बरात में उनने मोये फ्यूज करो थो न, वैसे ही तोये कर देते. तब मुंह से बोल निकलने की बजाय कुछ और ही निकलतो. न हँसे हंसाई आती और न रोये रुवास. समझे मियां ख़ास.
खैर अब मामला रफा दफा हो गयो तो जोर से जयकारा लगाओ,
बांके बिहारीलाल की जय.
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