वेलेंटाइन डे पर दिल के मरीजों को मोदी सरकार ने खास तोहफा दिया था। हार्ट सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले कार्डियक स्टेंट की कीमतों में 85 फीसदी तक कटौती की गई थी। 1,29,404 रुपए में बिकने वाला स्टेंट अब महज 29,600 रुपए में मिलेगा।
क्या आप जानते हैं कि मोदी सरकार की ओर से मिलने वाली एक लाख रुपए की यह राहत किसी शख्स की मेहनत का नतीजा है?
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हार्ट सर्जरी
यह कोशिश दिल्ली के वकील बिरेन्दर सांगवान ने की थी। सांगवान बताते हैं, ‘साल 2014 की बात है। मैं एक दोस्त के भाई से मिलने हॉस्पिटल गया। उसकी हार्ट सर्जरी हुई थी। इसमें कोरोनेरी स्टेंट लगाया गया था।’
हालांकि बिरेन्दर को झटका तब लगा, जब उन्होंने देखा कि इसकी कीमत 1 लाख 26 हजार रुपए है। यह कीमत हद से अधिक थी।
इसी वजह ने बिरेन्दर को भी हद पार करने का जज्बा दिया। 37 साल के इस वकील ने स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बारे में खत लिखा। आरटीआई भी लगाई। जवाब आया तो बिरेन्दर हैरान थे।
कार्डियक स्टेंट बाहर से मंगाए जाते हैं, इसके बावजूद इन पर कोई कस्टम ड्यूटी (टैक्स) नहीं लगती। इसे ड्रग या दवा तो माना गया लेकिन जरूरी दवाओं की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। नियमत: जरूरी दवाओं पर भारत में भारी छूट दी जाती है।
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इसके बाद बिरेन्दर सांगवान ने दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेंट की कीमतों से जुड़ी अधिसूचना जानने की याचिका डाली।
साल 2014 से शुरू हुई कोशिशों को दो साल बाद सफलता मिलती दिखी। साल 2016 में मोदी सरकार ने जरूरी दवाओं की लिस्ट में स्टेंट को जगह दी। हालांकि तब भी इसके दामों में कोई कटौती नहीं हो सकी।
हालांकि बिरेन्दर ने हार नहीं मानी। उन्होंने केन्द्र सरकार से सम्पर्क बनाए रखा। दो साल लम्बी जद्दोजहद के बाद सरकार ने भी उनकी सुन ली और कोरोनेरी स्टेंट की कीमतों में 85 फीसदी की कमी कर दी।
मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय रसायन एवं उवर्रक मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि दो तरह के स्टेंट बाजार में बिक रहे हैं। एक ड्रग इल्युटिंग स्टेंट है जिसकी कीमत 129404 रुपये तक है। लेकिन मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने के बाद लोगों को यह अधिकतम 29600 में मिलेगा।
अनंत कुमार ने कहा कि 90 फीसदी मरीजों को यही स्टेंट लगाया जाता है, जबकि दूसरा स्टेंट बेरे मैटल स्टेंट है जिसकी बाजार में कीमत 45095 रुपये है। लेकिन इसकी अधिकतम कीमत 7260 रुपये तय कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से दिल के मरीज को औसतन एक लाख रुपये का फायदा होगा। दूसरे, एक साल में सभी मरीजों का कुल फायदा 4450 करोड़ का होगा।
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आट्ररीज में स्टेंट डालकर उसे फुलाया जाता है ताकि रक्त का प्रवाह में रुकावट नहीं आए। ड्रग इल्युटिंग स्टेंट में दवा भी लगी होती है। नेशनल इंटरवेंशनल काउंसिल (एनआईसी) हैदराबाद इसके आंकड़े रखता है, जिसके अनुसार 2010 में 117420 आपरेशन किए गए जो 2015 में बढ़कर 353346 तक पहुंच गए। इनमें कुल 4.73 लाख स्टेंट लगाए गए। 2016 में यह आंकड़ा पांच लाख से भी ऊपर पहुंचने का अनुमान है। जबकि इसी बीमारी का बाईपास सर्जरी के जरिये भी इलाज होता है लेकिन देश में सालाना बाईपास सर्जरी की संख्या अभी भी 70-80 हजार सालाना ही होती हैं।
बता दें कि देश में दिल के मरीजों की संख्या करीब तीन करोड़ होने का अनुमान है। अगर इन तीन करोड़ लोगों के एक-एक लाख रुपए बचते हैं तो कुछ 300 अरब रुपए खर्च होने से बच जाएंगे।
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