लखनऊ: भारतीय मान्यता के अनुसार दुनिया में लगभग 36 करोड़ हिन्दू देवी देवता हैं, जिन्हें पूजा जाता है लेकिन उन सब में भगवन शंकर को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसलिए तो उन्हें देवों के देव महा देव कहतें हैं। इन्हीं महा देव के बारह ज्योतिर्लिंग हमारे देश में स्थित हैं। हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। शिवपुराण कथा में बारह ज्योतिर्लिंग के वर्णन की महिमा बताई गई है ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं-
क्या है काशीविश्वनाथ की महिमा
आज हम आपको श्री विश्वनाथ की महिमा बताते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कथा प्रचलित है कि भगवान् शंकर पार्वतीजी से विवाह करके कैलास पर्वत रह रहे थे लेकिन वहाँ पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वतीजी को अच्छा न लगता था।
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एक दिन उन्होंने भगवान् शिव से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए। यहाँ रहना मुझे अच्छा नहीं लगता। सारी लड़कियाँ शादी के बाद अपने पति के घर जाती हैं, मुझे पिता के घर में ही रहना पड़ रहा है। भगवान् शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। माता पार्वतीजी को साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी में आ गए। यहाँ आकर वे विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन द्वारा मनुष्य समस्त पापों-तापों से छुटकारा पा जाता है। प्रतिदिन नियम से श्री विश्वनाथ के दर्शन करने वाले भक्तों के योगक्षेम का समस्त भार भगवान शंकर अपने ऊपर ले लेते हैं। ऐसा भक्त उनके परमधाम का अधिकारी बन जाता है। भगवान् शिवजी की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है।
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