कहते हैं कि हर चीज का अपना वक़्त होता है. एक समय बाद कोई दूसरा उसकी जगह ले लेता है, लेकिन इससे उसकी अहमियत कम नहीं हो जाती. जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल का युद्ध लड़ा था, तो उसमे एक से एक हथियारों का इस्तेमाल किया गया. वीर जवानों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी. इन वीरों का इंसास राइफल ने उनकी सांस की तरह भरपूर साथ निभाया था.
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लेकिन अब वक़्त इसके रिटायरमेंट का है. मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि 20 वर्ष तक सेना का साथ निभाने वाली इस राइफल को सेवामुक्त कर दिया जाएगा. इसके बाद इसे देश में ही विकसित किया जाएगा.
भारतीय लघु शस्त्र प्रणाली (इंसास) की जगह उच्च क्षमता वाली घातक रायफल (7.62 X 51) ले लेगी. ये राइफल सेना में 1988 में शामिल की गयी थी. भारतीय कंपनियों सहित 18 वेंडरों ने हथियार बनाने वाली विदेशी कंपनियों के साथ करार किया है.
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वेंडरों ने सीमाओं और आतंकवाद के खिलाफ अभियान के दौरान सेना द्वारा प्रयोग में लायी जा रही करीब दो लाख राइफल बदलने के लिए अपने कंसेंट भेजे हैं. हालांकि विशेषज्ञों ने इसे बदलने का कारण ये बताया है कि ये अधिक दूरी के लिए प्रभावी नहीं है. इस कारण 1999 के कारगिल युद्द में शामिल किये गये इस हथियार को अब कार्यमुक्त किया जा रहा है.
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