मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने जनधन खातों से नकद निकासी की सीमा 10,000 रुपये प्रति माह तय कर दी है। कालाधन रखने वालों द्वारा जनधन खातों के दुरुपयोग के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।
रिजर्व बैंक की इस संबंध में आज जारी अधिसूचना में कहा गया है ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) खाताधारक किसानों और ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये यह कदम उठाया गया है। आपको बता दें कि जिन खातों का केवाईसी सत्यापन नहीं हुआ है उनके लिए नकद निकासी सीमा 5,000 रुपये ही है।
सरकार को आशंका है कि कालाधन रखने वाले अपने अवैध धन को वैध बनाने के लिए किसानों और दूसरे लोगों के जनधन खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं. नोटबंदी के बाद पिछले केवल 14 दिन में ही जनधन खातों में 27,200 करोड़ रुपये की जमापूंजी आ गई. इन 25.68 करोड़ जनधन खातों में 23 नवंबर तक कुल जमा राशि 70,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करते हुए 72,834.72 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि जहां तक जमा राशि के मामले में जनधन खातों के लिये 50,000 रुपये की सीमा है। केन्द्र सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से हटाने के फैसले के बाद जनधन खातों में अचानक पैसा जमा होने लगा। कई खातों में 49,000 रुपये तक जमा कराये गये। इस तरह की रिपोर्टें आई हैं कि कई लोगों, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जिन लोगों के खातों में नोटबंदी की घोषणा के दिन तक कोई राशि नहीं थी, उनमें अचानक पैसा आ गया।
जन-धन खातों के संचालन पर रोक की जानकारी देते समय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने बताया था कि जांच के बाद रोक हटा दी जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि नोटबंदी के ऐलान के बाद उप्र में दस हजार करोड़ रुपए से अधिक रकम को जन-धन खातों में खपाए जाने की सूचना है। पश्चिमी बंगाल और राजस्थान में भी बड़ी मात्रा में रकम अचानक जन-धन खातों में जमा कराए जाने की पुष्टि हुई है। उक्त खातों की जांच कराई जा रही है।
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