देहरादून। उत्तराखंड में भूस्खलन की वजह से हर साल कई लोगों की जान जाती है। और वही इसके कारण कई बार रास्ते भी घंटों तक बंद रहते हैं। और गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है। अब इस तरह की आपदाओं को देखते हुए वैज्ञानिकों की कोशिश रंग लाई है। अब इस तरह की आपदा से पहले ही लोगों को चेतावनी मिल जाएगी।
भूस्खलन से पहले मिलेगी चेतावनी
केंद्रीय खान मंत्रालय ने देश की प्रतिष्ठित पांच वैज्ञानिक एजेंसियों को भूस्खलन की घटनाओं के लिए भी अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार करने का जिम्मा सौंपा है।खास बात यह है कि इनमें दो संस्थाएं भारतीय भवन अनुसंधान संस्थान (रुड़की) और वाडिया हिमालयन भूविज्ञान संस्थान (देहरादून) उत्तराखंड में हैं।
साथ ही, तीसरी एजेंसी डिफेंस टेरेन रिसर्च लैब चंडीगढ़ भी गत एक वर्ष से उत्तराखंड के चमोली जिले में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। भूकंप, अतिवृष्टि व बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही भूस्खलन की दृष्टि से भी उत्तराखंड अत्यधिक संवेदनशील है।
खासतौर पर मानसून सीजन में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाओं से जानमाल का भारी नुकसान भी होता है। शायद इसी वजह से केंद्रीय खान मंत्रालय ने भूस्खलन जैसी दैवीय आपदा की घटना के लिए भी पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में उत्तराखंड स्थित दो प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थाओं को भी शामिल किया है।
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