नई दिल्ली: भारत कृषि प्रधान देश है और यह सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र भी है। कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 16.6 फ़ीसदी है। देश में 12 करोड़ किसान हैं लेकिन खेती पर निर्भर व्यक्तियों की संख्या कुल आबादी का 60% से भी अधिक है। लेकिन पिछले एक दशक से हमारा अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर है। कोई आंसू पोछने वाला नहीं। मदद के नाम पर केवल बयानबाजी होती है।
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राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो ने एक हैरान कर देने वाला आकंड़ा जारी किया है। रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2015 में देश के 8000 किसानों ने आत्महत्या की। रिपोर्ट में इन आत्महत्याओं के पीछे कर्ज और दिवालियापन को मुख्य वजह बताया गया है।
क्यों दुखी है अन्नदाता
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 कर्ज न चुका पाने के कारण कुल 2978 किसानों ने आत्महत्या की जबकि खेती बाड़ी से जुड़ी अन्य समस्याओं के कारण अपनी जान देने वालों की संख्या 1494 थी। महिला किसानों में कर्ज के साथ ही घरेलू विवाद भी आत्महत्या की मुख्य वजह पाया गया। महिला और पुरुष किसानों को मिलाकर आत्महत्या करने वाले ऐसे लोगों की कुल संख्या 12602 रही जो कि देश में आत्महत्या के कुल मामलों का 9.4 प्रतिशत था।
महाराष्ट्र का रिकार्ड सबसे खराब रहा
वर्ष 2015 में देश में आत्महत्या के कुल एक लाख 33 हजार 623 मामले सामने आए थे। यह आंकड़े यह बताते हैं कि साल 2014 की तुलना में साल 2015 में किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं में तीन फीसद की बढ़ोतरी हुई । रिपोर्ट के अनुसार 2015 में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे ज्यादा घटनाएं महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में हुईं। इस मामले में महाराष्ट्र का रिकार्ड सबसे खराब रहा। राज्य में इस दौरान 3030 किसानों ने आत्महत्या की।
हालांकि इस अवधि में बिहार, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मिजोरम, नगालैंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और केन्द्र शासित प्रदेशों में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई।खेती देश में जीविकोपार्जन का सबसे प्रमुख जरिया है। देश की 55 फीसद आबादी आजीविका के लिए इस पर ही निर्भर है। कुल श्रम बल का आधा हिस्सा खेती बाड़ी में लगा हुआ है लेकिन इसके बावजूद देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान महज 14 प्रतिशत है। यह आंकड़े कृषि क्षेत्र और उसमें लगे लोगों की दयनीय हालत बयां कर रहे हैं।
एनसीआरबी के अनुसार मानसून पर अत्याधिक निर्भरता, अपर्याप्त सिंचाई व्यवस्था, छोटे हिस्सों में बंटे खेत तथा कर्ज अैार फसल बीमे की समुचित व्यवस्था का अभाव कृषि क्षेत्र की बदहाली की वजह बन रहा है।
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