जल निगम के सेवा सम्बंधी मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष कूटरचित दस्तावेज पेश करने के मामले में मंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोर्ट में हाजिर न होने पर उनके खिलाफ बुधवार को वारंट जारी कर दिया गया। मामले में कोर्ट ने जल निगम के चेयरमैन आजम खां समेत जल निगम के एमडी और मुख्य अभियंता को तलब कर पूछा था कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी व आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। कोर्ट के बुलाने पर भी आजम कोर्ट में अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचे जिसे अदालत की अवमानना माना गया। हालांकि यह वारंट जमानती है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि पीठ आजम को जिम्मेदार नहीं मानती लेकिन उनको अपना पक्ष रखने आना चाहिए था। अगली सुनवाई छह मार्च को होगी।
आजम खां की मुश्किलें बढ़ाईं इस मामले ने
जल निगम के सहायक अभियंता डीके सिंह के खिलाफ अनियमितता का आरोप लगाया गया था। सेवा सम्बंधी केस में ट्रिब्युनल कोर्ट ने अभियंता को राहत दे दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीके सिंह के खिलाफ तैयार आरोप पत्र को सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया। ट्रिब्युनल के आदेश को विभाग ने वर्ष 2103 में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका में जल निगम के चेयरमैन आजम खां प्रथम याची हैं जबकि एमडी व मुख्य अभियंता अन्य याचियों में शामिल हैं। जब याचिका दाखिल की गई तब आरोप पत्र में हस्ताक्षर न होने के ट्रिब्युनल के फाइंडिंग को चुनौती नहीं दी गई लेकिन तीन साल बाद याचियों की ओर से एक दस्तावेज प्रस्तुत कर यह दिखाने का प्रयास किया गया कि आरोप पत्र पर हस्ताक्षर मौजूद हैं। हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनंत कुमार की खंडपीठ ने इसी बिंदु का संज्ञान ले लिया। खंडपीठ का कहना था कि यही दस्तावेज जब ट्रिब्युनल के सामने पेश किए गए तब इसपर हस्ताक्षर नहीं थे। अब इसमें हस्ताक्षर कैसे आ गए। कोर्ट ने दस्तावेजों को फर्जी करार देते हुए आजम समेत सभी याचियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसी मामले पर आजम को अपना पक्ष रखना था। हालांकि वह नहीं पहुंचे तो कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया।
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