लखनऊ: हिन्दू धर्म में प्रत्येक दिन देवताओं के लिए बंटे होते हैं जैसे सोमवार भगवान शिव का है, मंगलवार हनुमान जी का है और शनिवार न्यायधीश कहे जाने वाले शनिदेव का है। आखिर कभी आपके दिमाग में आया कि भगवान के लिए क्यों दिन बांट दिए गए? आखिर भगवान शंकर को सोमवार का ही दिन क्यों दिया गया? न तो इनका इस दिन जन्म हुआ है।
सोमवार ही क्यों हैं भगवान शंकर का दिन
पुराणों में सोम का अर्थ चंद्रमा होता है और चंद्रमा भगवान शिव के शीश पर मुकुटायमान होकर अत्यन्त सुशोभित होता है। भगवान शंकर ने जैसे कुटिल, कलंकी, कामी, वक्री एवं क्षीण चंद्रमा को उसके अपराधी होते हुए भी क्षमा कर अपने शीश पर स्थान दिया वैसे ही भगवान् हमें भी सिर पर नहीं तो चरणों में जगह अवश्य देंगे। यह याद दिलाने के लिए सोमवार को ही लोगों ने शिव का वार बना दिया।
इसके अलावा सोम का अर्थ सौम्य होता है। इस सौम्य भाव को देखकर ही भक्तों ने इन्हें सोमवार का देवता मान लिया। सहजता और सरलता के कारण ही इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है।
अथवा सोम का अर्थ होता है उमा के सहित शिव। केवल कल्याणरी शिव की उपासना न करके साधक भगवती शक्ति की भी साथ में उपासना करना चाहता है क्योंकि बिना शक्ति के शिव के रहस्य को समझना अत्यन्त कठिन है। इसलिए भक्तों ने सोमवार को शिव का वार स्वीकृत किया।
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