स्टॉकहोम। पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को सभी ने सराहा। लोग गंदगी को दूर करने में जुट गए हैं। पीएम मोदी के साथ-साथ देशवासियों का भी हक बनता है है कि देश स्वच्छ बनें। लेकिन इससे इतर एक देश ऐसा भी है जो अपने देश में कूड़ा मंगाता है। जी हां बिल्कुल सही सुना, स्वीडन ऐसा देश है जो अपने देश में दूसरे देशों के कूड़े के ढेर लगवाता है। अगर स्वीडन को कूड़े का देश कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
स्वीडन को कूड़े का देश कहना बना चर्चा का विषय
जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक स्वीडन में कचरे में फेंके जाने वाली बोतलों और प्लास्टिक के पैकेट का इस्तेमाल ठंड से बचने के लिए करते हैं। वहां तेज ठंड के मौसम के घरों को गर्म रखने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। स्वीडन की सरकार ने नेशनल रीसाइक्लिंग प्रोसेस के तहत ऐसी व्यवस्था की हुई है जिसके माध्यम से कूड़े को जलाने के बाद जो हीट पैदा होता है, उस हीट को लोगों के घरों तक पहुंचाया जाता है ताकि सर्दियों में उन्हें राहत मिल सके।
कूड़े को जलाने से पैदा होती है गर्मी
जब कूड़े को जलाया जाता है तब उसका हीट नेशनल हीटिंग नेटवर्क तक पहुंचता है, जिसके जरिए कड़ाके की ठंड वाले मौसम में लोगों के घर तक गर्मी पहुंचाई जाती है। इसी के चलते स्वीडन में कूड़े की खपत ज्यादा है। सिर्फ सरकारी ही नहीं गैर सरकारी कंपनियां भी कूड़े आयात-निर्यात और उसे जलाने के काम में निवेश करती हैं।
सरकार कर रही है तमाम कोशिशें
भविष्य में कूड़े को सही तरीके से कलेक्ट करने के लिए स्वीडिश नगरपालिका नए-नए तरीकों की खोज में जुटी हुई है। उनका ध्यान एक ऐसी व्यवस्था को स्थापित करने पर केंद्रित है जिसके माध्यम से ऑटोमैटिकली कचरे को उठाना संभव हो। जिससे की सड़क पर रखे जाने वाले डस्टबिन्स को हटाया जा सके, जो सड़कों के स्पेस का बड़ा हिस्से पर कब्जा जमाए रहते हैं।
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